Tuesday, July 28, 2015

philo

नंगे पाव चलते इन्सान को लगता है कि "चप्पल होती तो कितना अच्छा होता" !

बाद में,
"साइकिल होती तो कितना अच्छा होता"!

उसके बाद,
"मोपेड होता तो थकान नही लगती" !

बद मेँ सोचता है:
"मोटर साइकिल होती तो बातो-बातो मेँ रास्ता कट जाता" !

फिर ऐसा लगता है,
"कार होती तो धूप नही लगती" !

फिर लगता है कि,
"हवाई जहाज होता तो इस ट्रैफिक का झंझट नही होता" !

जब हवाई जहाज मेँ बैठकर नीचे हरे-भरे घास के मैदान देखता है तो सोचता है कि "नंगे पांव घास में चलता तो दिल को कितनी तसल्ली मिलती" !
.
.
""जरुरत के मुताबिक जिंदगी जीओ - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं !
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है;
पर ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती हैं !

"जो भाग्य में है , वह
भाग कर आएगा,
जो नहीं है , वह
आकर भी भाग जाएगा...!"

यहाँ सब कुछ बिकता है ,
दोस्तों रहना जरा संभाल के ,
बेचने वाले हवा भी बेच देते है ,
गुब्बारों में डाल के ,
सच बिकता है , झूठ बिकता है,
बिकती है हर कहानी ,
तीनों लोक में फैला है , फिर भी
बिकता है बोतल में पानी ,

कभी फूलों की तरह मत जीना,
जिस दिन खिलोगे ,
टूट कर बिखर जाओगे ,
जीना है तो पत्थर की तरह जियो;
जिस दिन तराशे गए ,
"भगवान" बन जाओगे....!!

"रिश्ता" दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं,
"नाराजगी" शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!

सड़क कितनी भी साफ हो
"धुल" तो हो ही जाती है,
इंसान कितना भी अच्छा हो
"भूल" तो हो ही जाती है!!!

आइना और परछाई के
जैसे मित्र रखो क्योकि
आइना कभी झूठ नही बोलता और परछाई कभी साथ
नही छोड़ती......
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏          Suprabhatmmmm

No comments:

Subscribe Now: standardSmall